गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

बीती बातों को भूल आगे की सोचे

मुंबई शहर में बिनोद पर मनोज नाम के दो भाई रहते थे.बिनोद ओर मनोज को जीवन में सब कुछ आसानी से मिल गया.क्योंकि उसके पिता ने समय के साथ अच्छी दौलत बना ली थी.इस कारण दोनो को सुख की आदत पड़ गई.किसी अप्रिय घटना पर वे परेशान ओर दुखी हो जाते ओर पिता से एक ही बात कि शिकायत कई-कई बार करते ओर घटना जो जाने पर वे जल्दी भूल नहीं पाते.उसे लेकर लम्बे समय तक दुःखी रहते और उसी में अपना समय ज़ाया करते.बच्चों की इस हरकत से पिता बहुत परेशान रहते.एक दिन पिता को एक युक्ति सूझी उसने मनोज ओर विनोद आज में तुम्हें मज़ेदार चुटकुले सुनता हूँ.वह चुटकुला बहुत मझेदार था.चुटकुला सुन दोनो पेट पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से हसने लगा.जब वह चुप हो गय तो पिता ने फिर वही चुटकुले सुनाया.इस बार दोनो के चेहरे पर थोड़ी सी हँसी थी फिर वह चुप हो गय.अब पिता ने तीसरी बार भी वही चुटकुले सुना दिया.इस बार दोनो के चेहरे पर मुस्कुरात के भाव भी नहीं थे.वह बोले,पिता जी एक ही चुटकुले बार बार सुनने पर मज़ा नहीं आता,अब कोई नया चुटकुला सुनाइये.अब पिता मुस्कुरा कर बोले.बच्चों जब तुम एक ही चुटकुले पर बार-बार नहीं हंस सकते.तो एक ही दुःख या घटना पर बार-बार दुःखी क्यू होते हो? पिता की ऐसी कार्तिक बात सुन कर दोनो सन रह गये. दोस्तों यह सच है की हम अपने दुखो से जल्दी प्रभावित हो जाते है.और लम्बे समय तक ये हमारे मन में बना रहता है. लेकिन सुख के पल हमें कम लगते है.यदि हम अपने साथ घटित घटनाओं को याद कर बार-बार दुखी होते रेहेंगे.तो हमारे हाथ से कई अच्छे अवसर निकल जाएगे.दरअसल अवसर कभी भी किसी दुखी आदमी के हाथ में सही परिणाम नहीं देते.पुराना समय भी लौट कर नहीं आता तमाम विपरीत हालात में भी हमें अपने लिए सुकून और कुशी के पल चुराना होता है.अंत पिछली बातों को भूल कर आगे का रास्ता देखना चाहिए.प्रगति का यही एक मार्ग है.

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता

ब्रिटेन के किसी सहर में ब्रेट नाम का एक ड्राइवर अपने परिवार के साथ रहा करता था.परिवार में उसकी पत्नी ओर दो बच्चे रेहते थे. ब्रेट अपने काम के साथ-साथ पढ़ाई भी करता था.उसका सपना था की उसे कोई अच्छा काम मिले ओर उसे इतने पैसे मिल जाए.की वह अपना परिवार ठीक से चला सके उसकी पत्नी जब उससे कहती की तुम परिवार को समय नहीं देते,तो वो मुस्कुरा कर कहता ये सब तो में तुम्हारे लिए कर रहा हूँ.धीरे-धीरे उसकी पढ़ाई पूरी हुई और उसने कामर्स से स्नातक की दीग्री हासिल कर ली.उसे उसी ट्रांसपोर्ट में अकाउंटेंट की नोकरी मिल गई.तनख़्वाह बढ़ी तो वह अपना छोटा घर छोड़ कर बड़ा घर किराया पर ले लिया ब्रेन की व्यस्ता और बढ़ गई.उसका परिवार फिर उससे साथ समय बिताने को कहता,तो फिर वही जवाब देता की तुम्हारे लिये ही तो यह सब कर रहा हूँ.समय गुजरा ब्रेट की मेहनत को देखते हुए.उसे वहाँ का मैनेजर बना दिया गया.अब उसने एक गाड़ी ख़रीद ली.और घर में एक नोकरानी भी रख ली.ताकि उसकी पत्नी को मदद मिल सके.पत्नी फिर कहती थोड़ा समय बच्चों के साथ भी बिताओ वह फिर वही पुराना जबाब देता आख़िर उसके लिए ही तों कर रहा हूँ अब ब्रेट रविवार और छुट्टी के दिन भी काम निपटाने में लगा रहता.और घर पर रह ही नहीं पाता.कुछ समय बाद उसे कम्पनी का मुख्य मैनेजर बना दिया गया.इसकी तनख़्वाह अच्छी कर दी गयी.अब उसने एक घर ख़रीदा और पत्नी से कहा मेने अपना घर ख़रीद लिया है.गाड़ी भी ख़रीद लिया है.अब में ज़्यादा काम नहीं करूँगा और तुम लोगों के साथ पूरा समय व्यतीत करूँगा.घर के सभी लोग खुश हो गय.रात तो ब्रेट सोया और फिर सुबह जो हुआ.उसने पूरे परिवार को हिला कर रख दियासुबह ब्रेट उठा ही नहीं. दोस्तों,हम अपने जीवन में सभी चीजों की चाहत करते है.और उसके लिए परेशान रहते है जो हमें नहीं मिली.लेकिन यह सच है की जीवन में कभी किसी को सब कुछ नहीं मिलता जिस दिन हम ने ये सच को स्वीकार कर लिया हमारा जीवन उत्सव बन जाएगा.

रविवार, 24 अप्रैल 2022

ईमानदारी का पुरस्कार तो मिलता ही है

किसी शहर में एक सेठ रहा करता था उस सेठ के पास अटूट संपती थी.लेकिन उसकी कोई औलाद नहीं थी.सेठ के कई कारख़ाने ओर आलीशान घर था.जिसने वह अपनी पत्नी और नोकरो के साथ रहता.सेठ हमेशा समाज सेवा का भी काम करता.एक बार शहर में अकाल पड़ा.हर तरफ़ सूखे कि मार ने लोगों को बेहाल कर दिया.लोग दाने-दाने के मोहताज हो गये सेठ ने जब ये सब देखा तो उनसे रहा नहीं गया.उसने रोटियाँ बनवाई और बाटना शुरू किया.रोटी लेने वाली की भीड़ में एक छोटी बच्ची भी थी.बच्ची आनाथ थी उसके माता पिता की मौत हाल में हुई थी.बच्ची रोटी लेकर अपने घर चली गई.घर पहुँच कर रोटी का टुकड़ा खाने के लिये तोड़ा ही था.तभी उस रोटी से एक सोने का सिका रोटी से निकल कर नीचे गिर गया बच्ची ने अचरज से उस सोने के सिके को देखा और सोचा की अवश्य रोटी का आटा गुथते समय गलती से सेठ जी का सिक्का उसमें गिर गया होगा बच्ची रोटी खाकर सेठ के पास पहुँची और उनको सिक्का वापस करते हुई सारी बात बताई सेठ इतने विकट परीस्थिती में भी छोटी बच्ची कि ऐसी ईमानदारी देख दंग रह गया.उसने बच्चे को गले लगा लिया और उसे हमेशा के लिये गोद ले लिया.उसने अपनी सारी संपती का हक़दार भी उसे बना दिया. दोस्तों अक्सर हम सुनते है ज़्यादा ईमानदारी भी मूर्खता है.लेकिन हमारे व्यक्तितत्व में ईमानदारी है.तो इसका पुरस्कार कभी ना कभी मिलता ही है.हाँ इसमें विलंब हो सकता है.आप अक्सर देखेंगे कि हर व्यक्ति को ईमानदार व्यक्ति की तलाश होती है.बेईमान को ना कोई अपने साथ रखना चाहता है.और ना कोई उसकी पूछ है.अंत आप में ईमानदारी का गुण है.तो तो भविष्य में व्यापार या रोज़गार के कई अवसर आपको मिलेंगे.

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

हम सब में कुछ ना कुछ ज़रूर है

किसी गाँव में एक किसान रहता था.किसान के पास दो घरे थे एक तो ठीक था.पर दूसरे में एक छोटा सा छेद था.किसान हर दिन गाँव के पास बहनेवाली एक नदी में जाता ओर वहाँ से दोनो घड़े में पानी कंधे पर रखकर ले आता.ऐसा वह प्रतिदिन करता. पहले वाले घड़े में पानी ठीक से आ जाता.लेकिन दूसरे वाले घड़े से पानी रिसता रहता गाँव पहुचने तक उसमें आधा पानी ही रह जाता.एक दिन सुराखवाले घड़े ने पहले घड़े से कहा, मुझे इस बात का बहुत दुःख है.में अपने मालिक के मेहनत पर पानी फेर रहा हूँ.मेरे सुराख़ से आधा पानी रिस जाता है.जबकि तुम अपने मालिक के मेहनत का पूरा ख़्याल रखते हो.तुम बात तो सही बोलते हो पर इसका कोई समाधान नहीं है.दोनो घड़े की बात किसान सुन रहा था.उसने सूरखवाले घड़े से कहा तुम बिल्कुल परेशान मत हो.में तुम्हारे पानी रिसने से दुःखी नहीं हूँ.इसका कारण में तुम्हें कल बताऊँगा. अगले दिन किसान जब फिर से पानी लेकर चलने लगा.तो सूरखवाले घड़े ने किसान से दुःखी ना रहने का कारण पूछा.किसान ने कहा ,तुम देखो, जिस रास्ते पर रोज़ तुम पानी गिराते हो, वहाँ कितने सुंदर फूल खिले है.ये फूल इतने खिले हुए नहीं होते.अगर तुम्हारे अन्दर से पानी रिसने से उसको पोषण नहीं मिलता.सुराख़वाले घड़े ने देखा तो सामने सुन्दर फूलो की क़तार खिलखिला रही थी. ये तो एक काल्पनिक कहानी है.लेकिन हमें गहरा संदेस देती है. हम सब में कुछ ना कुछ कमियाँ होती है जिन्हें हम दूर नहीं कर पाते. इनमे कुछ कमियाँ हमें स्वभाविक रूप से मिली है. लेकिन इसके बावजूद हम खुद में इकलौटे है ओर इसने में भी कुछ ख़ास बात है.जो दूसरों में नहीं.यक़ीन कीजिय ईश्वर हम सब को अलग अलग हुनर से नवाजा है.हमें बस उसे केवल पहचाना है.इसके बाद हमें कोई बाधा आगे बढ़ने से नहीं रोक सकेगी