रविवार, 24 अप्रैल 2022

ईमानदारी का पुरस्कार तो मिलता ही है

किसी शहर में एक सेठ रहा करता था उस सेठ के पास अटूट संपती थी.लेकिन उसकी कोई औलाद नहीं थी.सेठ के कई कारख़ाने ओर आलीशान घर था.जिसने वह अपनी पत्नी और नोकरो के साथ रहता.सेठ हमेशा समाज सेवा का भी काम करता.एक बार शहर में अकाल पड़ा.हर तरफ़ सूखे कि मार ने लोगों को बेहाल कर दिया.लोग दाने-दाने के मोहताज हो गये सेठ ने जब ये सब देखा तो उनसे रहा नहीं गया.उसने रोटियाँ बनवाई और बाटना शुरू किया.रोटी लेने वाली की भीड़ में एक छोटी बच्ची भी थी.बच्ची आनाथ थी उसके माता पिता की मौत हाल में हुई थी.बच्ची रोटी लेकर अपने घर चली गई.घर पहुँच कर रोटी का टुकड़ा खाने के लिये तोड़ा ही था.तभी उस रोटी से एक सोने का सिका रोटी से निकल कर नीचे गिर गया बच्ची ने अचरज से उस सोने के सिके को देखा और सोचा की अवश्य रोटी का आटा गुथते समय गलती से सेठ जी का सिक्का उसमें गिर गया होगा बच्ची रोटी खाकर सेठ के पास पहुँची और उनको सिक्का वापस करते हुई सारी बात बताई सेठ इतने विकट परीस्थिती में भी छोटी बच्ची कि ऐसी ईमानदारी देख दंग रह गया.उसने बच्चे को गले लगा लिया और उसे हमेशा के लिये गोद ले लिया.उसने अपनी सारी संपती का हक़दार भी उसे बना दिया. दोस्तों अक्सर हम सुनते है ज़्यादा ईमानदारी भी मूर्खता है.लेकिन हमारे व्यक्तितत्व में ईमानदारी है.तो इसका पुरस्कार कभी ना कभी मिलता ही है.हाँ इसमें विलंब हो सकता है.आप अक्सर देखेंगे कि हर व्यक्ति को ईमानदार व्यक्ति की तलाश होती है.बेईमान को ना कोई अपने साथ रखना चाहता है.और ना कोई उसकी पूछ है.अंत आप में ईमानदारी का गुण है.तो तो भविष्य में व्यापार या रोज़गार के कई अवसर आपको मिलेंगे.

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