शनिवार, 23 अप्रैल 2022

हम सब में कुछ ना कुछ ज़रूर है

किसी गाँव में एक किसान रहता था.किसान के पास दो घरे थे एक तो ठीक था.पर दूसरे में एक छोटा सा छेद था.किसान हर दिन गाँव के पास बहनेवाली एक नदी में जाता ओर वहाँ से दोनो घड़े में पानी कंधे पर रखकर ले आता.ऐसा वह प्रतिदिन करता. पहले वाले घड़े में पानी ठीक से आ जाता.लेकिन दूसरे वाले घड़े से पानी रिसता रहता गाँव पहुचने तक उसमें आधा पानी ही रह जाता.एक दिन सुराखवाले घड़े ने पहले घड़े से कहा, मुझे इस बात का बहुत दुःख है.में अपने मालिक के मेहनत पर पानी फेर रहा हूँ.मेरे सुराख़ से आधा पानी रिस जाता है.जबकि तुम अपने मालिक के मेहनत का पूरा ख़्याल रखते हो.तुम बात तो सही बोलते हो पर इसका कोई समाधान नहीं है.दोनो घड़े की बात किसान सुन रहा था.उसने सूरखवाले घड़े से कहा तुम बिल्कुल परेशान मत हो.में तुम्हारे पानी रिसने से दुःखी नहीं हूँ.इसका कारण में तुम्हें कल बताऊँगा. अगले दिन किसान जब फिर से पानी लेकर चलने लगा.तो सूरखवाले घड़े ने किसान से दुःखी ना रहने का कारण पूछा.किसान ने कहा ,तुम देखो, जिस रास्ते पर रोज़ तुम पानी गिराते हो, वहाँ कितने सुंदर फूल खिले है.ये फूल इतने खिले हुए नहीं होते.अगर तुम्हारे अन्दर से पानी रिसने से उसको पोषण नहीं मिलता.सुराख़वाले घड़े ने देखा तो सामने सुन्दर फूलो की क़तार खिलखिला रही थी. ये तो एक काल्पनिक कहानी है.लेकिन हमें गहरा संदेस देती है. हम सब में कुछ ना कुछ कमियाँ होती है जिन्हें हम दूर नहीं कर पाते. इनमे कुछ कमियाँ हमें स्वभाविक रूप से मिली है. लेकिन इसके बावजूद हम खुद में इकलौटे है ओर इसने में भी कुछ ख़ास बात है.जो दूसरों में नहीं.यक़ीन कीजिय ईश्वर हम सब को अलग अलग हुनर से नवाजा है.हमें बस उसे केवल पहचाना है.इसके बाद हमें कोई बाधा आगे बढ़ने से नहीं रोक सकेगी

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